महोबा /उत्तर प्रदेश :रामायण में जहां चारों भाइयों ने अपने कार्यव्य से भाईचारे की मिसाल पेश की थी, वहीं महोबा में तीन कलयुगी भाइयों ने लालच और साजिश से भाई के रिश्ते को ही शर्मसार कर दिया। तीनों बड़े भाइयों ने छोटे भाई की गैरमौजूदगी का फायदा उठाते हुए उसके हिस्से की जमीन को फर्जी तरीके से एक व्यक्ति को बेच दी। 13 साल बाद जब पीड़ित घर लौटा, तो वह अपनी जमीन देखने पहुंचा जहां उसे पता चला कि यह जमीन उसने कई वर्ष पहले ही बेच दी है। यह सुनकर उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई । उसे एहसास हुआ कि तीनों भाईयों ने उसके साथ धोखा किया है। वह अपनी पैतृक जमीन का हिस्सा प्राप्त करने के लिए अब अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहा है।सगे भाइयों के बीच धोखे का यह मामला महोबा का है । मुख्यालय के मुकेरीपुरा निवासी महबूब ने बताया कि 13 वर्ष पूर्व महोबा में काम धंधा ना चलने की वजह से वह रोजीरोटी कमाने दिल्ली चला गया था। उसने बताया कि मौजा मुड़हरा में उसकी पैतृक जमीन थी अपने हिस्से की जमीन वह अपने तीनों भाईयों को देखरेख के लिए सौंपकर गया था। 13 वर्ष बाद जब महबूब वापस महोबा लौटा तो वह अपने खेत गया जहां क्रेता नरेंद्र मिश्रा ने उसे खेत में घुसने से मना किया और बताया कि यह खेत उसने बहुत पहले खरीद लिया है। यह सुनकर पीड़ित के “पैरों तले जमीन खिसक” गई। जब उसने जांच की तो पता चला कि रजिस्टार ऑफिस में रजिस्ट्री के दौरान तीनों भाईयों बली मुहम्मद, मुहम्मद जमील, इसराइल मुहम्मद साथ उसका अपना नाम तो लिखा है लेकिन उसकी फ़ोटो की जगह किसी और की फोटो लगाई गई है । जिससे साफ़ है कि उसके भाइयों ने धोखा देकर उसके हिस्से की जमीन किसी और को बेंच दी है । पीड़ित महबूब ने पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी को लिखित शिकायत देकर अपने तीनों बड़े भाइयों बली मुहम्मद, मुहम्मद जमील, इसराइल मुहम्मद के साथ उसकी जमीन खरीदने वाले नरेंद्र मिश्रा पुत्र भवानी दिन मिश्रा निवासी सुभाष नगर महोबा के विरुद्ध शिकायती पत्र सौंप कर कार्रवाई की मांग की है। पीड़ित बताता है कि 21 मार्च 2012 को उसकी जमीन नरेंद्र मिश्रा ने फर्जी तरीके से खरीद ली थी इस फर्जीबाड़े में उसके तीनों बड़े भाई भी शामिल थे। वह बताता है कि 18 नवंबर को इस घटना के संबंध में जब वह अपने भाइयों के पास गया तो तीनों भाई बली मोहम्मद, मोहम्मद जमील, इसराइल ने उसके साथ गाली गलौज करते हुए उसे धमकाया कि यदि तुमने जमीन मामले में कहीं शिकायत की तो तुम्हारी हत्या कर देंगे। वह बताता है कि उसकी आय का एकमात्र जरिया उसकी कृषि भूमि थी जिसे उसके भाइयों ने फर्जी तरीके से बेंच दिया।महोबा रजिस्टार ऑफिस में हुए इस फर्जीवाड़ी से पीड़ित महबूब हैरान है। वही रजिस्टार हनुमत यादव ने बताया कि कोई भी व्यक्ति यहां रजिस्ट्री कर सकता है। रजिस्ट्री के समय आईडी प्रूफ के साथ साथ दो गवाहों को भी शामिल किया जाता है। उन्होंने बताया कि यह मामला 2012 का है। जो संज्ञान में आया है इसकी जांच कराएंगे।भरत और राम का भाईचारा तो धर्मग्रंथों में सुनहरा इतिहास है, लेकिन आज के कलयुगी दौर में भाई-भाई के लिए ही सबसे बड़ा दुश्मन बन बैठा है। अब पीड़ित अपने हक के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। सवाल उठता है कि क्या उसे न्याय मिलेगा? क्या रिश्तों की मर्यादा का कोई मूल्य बचा है?