कानपुर में पार्षदों को वार्ड रोशन करने के लिए दी जा रहीं 55-55 स्ट्रीट लाइट घटिया क्वालिटी की निकलीं। पार्षदों ने इसका विरोध करना भी शुरू कर दिया है। भाजपा पार्षदों ने ही नगर निगम पर आरोप लगाए हैं कि स्ट्रीट लाइट मानक के मुकाबले बेहद घटिया क्वालिटी की दी जा रही हैं, जो जलाने पर ही कुछ दिनों में हीट होकर आग पकड़ रही हैं।मामले में वरिष्ठ भाजपा पार्षद महेंद्र पांडेय पप्पू ने बताया कि स्ट्रीट लाइट खरीद में जमकर नगर निगम अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया है। टेंडर में किसी और कंपनी की लाइट और वेंडर द्वारा सप्लाई किसी और कंपनी की दी जा रही है। स्ट्रीट लाइट एक महीने में नहीं चल पा रही हैं। स्ट्रीट लाइट बड़े पैमाने पर खराब होने पर वार्डों में फिर से अंधेरा छा रहा है।पार्षदों ने पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पत्र लिखकर की है। पत्र के मुताबिक करीब साढ़े 5 करोड़ रुपए से शहर के सभी 110 वार्डों में 55-55 स्ट्रीट लाइट सप्लाई की जानी थी। लेकिन ये पूरी तरह खराब क्वालिटी की हैं। पीडब्लूडी एसओर के मानकों पर भी स्ट्रीट लाइट नहीं खरीदी गई नगर निगम में पहली बार प्रत्येक वार्ड के लिए करीब साढ़े 5 लाख रुपए से स्ट्रीट लाइट खरीद का टेंडर किया गया। इसमें करीब 15 ठेकेदारों ने टेंडर लिए। कुछ ठेकेदारों ने 18 परसेंट बिलो तक टेंडर डाले हैं। इस पर ही उनकी गुणवत्ता सप्लाई पर सवाल उठने लगे हैं। पार्षद नीरज बाजपेई ने बताया कि प्रत्येक वार्ड के लिए 55-55 स्ट्रीट लाइट खरीदी गई हैं। लेकिन विभाग ठेकेदार से 5-5 लाइट जमा करने के लिए कह रहा है।इस पर पार्षदों ने अधिकारियों से भी आपत्ति जताई है और स्ट्रीट लाइट देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। इसको लेकर अधिकारियों और ठेकेदार के बीच भी खींचतान शुरू हो गई है। पार्षद कौशल मिश्रा ने बताया कि स्ट्रीट लाइट खरीदने में ठेकेदारों ने 18 परसेंट बिलो तक टेंडर डाले हैं। ऐसे में वो अच्छी क्वालिटी लाइट कैसे सप्लाई कर सकते हैं। वहीं अब जेई कह रहे हैं कि 5 स्ट्रीट लाइट नहीं दी जाएंगी और अन्य सामान नहीं दिया जाएगा। लाइट और ड्राइवर की पहले जांच कराई जाए, इसके बाद ही स्ट्रीट लाइट लगाई जाएं।