लखनऊ के निजी अस्पताल में आंख की सर्जरी कराने के लिए OT में गए 10 साल के बच्चे की मौत हो गई। इस मामले में एक्सपर्ट्स का मानना है कि एनेस्थिसिया देने में जरूरी प्रोटोकॉल फॉलो नहीं किया गया होगा। कई बार बेहोशी में कॉर्डियो कोलेप्स होने का खतरा रहता है।
डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि ऑपरेशन कराना हो तो एनिस्थिसिया एक्सपर्ट, कॉर्डियो डॉक्टर जरूर होने चाहिए। वहीं, दूसरी तरह शनिवार को परिजनों ने लखनऊ के CMO से मिलकर पूरी घटना की निष्पक्ष जांच कराने की गुहार लगाई। CMO की तरफ से पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया गया है।इस घटना को लेकर मेडिकल फील्ड के कई एक्सपर्ट्स से बात की। जाना कि आखिर कहां और किस स्तर पर चूक हुई होगी? इनमें बेहोशी यानी एनेस्थिसिया के एक्सपर्ट से लेकर आई सर्जन, फार्मासिस्ट एक्सपर्ट और नर्सिंग ऑफिसर भी शामिल हैं।लखनऊ के बलरामपुर चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय तेवतिया कहते हैं, कि आम तौर पर आई सर्जन लोकल एनेस्थिसिया देकर ऑपेरशन कर देते हैं। ऐसे में ये कोई नया काम नहीं है, जिसे किसी डॉक्टर ने किया। पर इस मामले में इसका रिजल्ट बेहद दुखद है।
मेरा ये कहना है, कि कभी भी बिना एनेस्थीसिया एक्सपर्ट की मौजूदगी के जब हम लोकल एनेस्थेटिक देकर सर्जरी के लिए जाते हैं, तब स्टैंड बाय मोड में एक जनरल फिजिशियन और एक कार्डियोलॉजिस्ट होने ही चाहिए। संभव है, इस मामले में ऐसी कोई तैयारी न रखी गई हो इस मामले में यूपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष सुनील यादव कहते हैं, कि ये मामला गंभीर है। इसमें डिटेल इन्वेस्टिगेशन की जरूरत है। ये कहा जा सकता है कि OT में ले जाने से पहले कुछ बेसिक हाईजीन टेस्ट हैं, साथ ही कुछ सेट प्रोटोकॉल हैं, जिन्हें फॉलो कराना बेहद जरूरी होता है।
यदि इन्हें अमल में नही लाया गया, तो कई बार ये मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। फिलहाल बिना हर पहलू को समझे किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है। हां ये जरूर है, कि इन मानकों को पालन करने में कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए