Monday, December 23, 2024
Google search engine
HomeBlogविधानसभा चुनाव के बाद क्या कांग्रेस और सपा के राजनीतिक रिश्तों में...

विधानसभा चुनाव के बाद क्या कांग्रेस और सपा के राजनीतिक रिश्तों में खटास

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद क्या कांग्रेस और सपा के राजनीतिक रिश्तों में खटास आ गई है। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी। वहीं, उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस खाली हाथ रही।महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन से दूरी बनाते हुए 9 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि दोनों दल अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में एक दूसरे को हैसियत याद दिलाते हुए मोल-भाव कर रहे हैं। ऐसे में क्या सपा और कांग्रेस का गठबंधन 2027 तक जारी रहेगा या दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे।राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मुस्लिम वोट बैंक खिसकने के भय के कारण कांग्रेस से गठबंधन करना अब सपा की राजनीतिक मजबूरी है।हरियाणा विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस से 5 सीटों की मांग की थी। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा ने कहा था कि कांग्रेस का सपा के साथ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन है। लेकिन हरियाणा में सपा का कोई जनाधार नहीं है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने सपा को शामिल नहीं किया गया। वहां सपा ने अकेले चुनाव लड़ा था। इधर, यूपी में विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से सपा से 3 से 4 सीट की मांग की जा रही थी। हरियाणा चुनाव परिणाम में कांग्रेस की हार होते ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से राजनीतिक बदला लेने के लिए छह सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए।सपा-कांग्रेस गठबंधन टूटने की चर्चा शुरू हुई तो सपा ने अलीगढ़ जिले की खैर और गाजियाबाद सीट कांग्रेस को गठबंधन में देने का प्रस्ताव रखा। लेकिन दोनों सीटों पर भाजपा की मजबूत स्थिति को भांपते हुए कांग्रेस ने उपचुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। नतीजतन सभी 9 सीटों पर सपा के प्रत्याशी ही चुनाव लड़ रहे हैं

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी से 5 सीटें मांगी थीं। 5 सीटें नहीं मिलने पर सपा ने 9 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। जबकि 2019 विधानसभा चुनाव में सपा ने मुंबई की मानखुर्द शिवाजीनगर और ठाणे की भिवंडी ईस्ट सीट जीती थी। महाविकास अघाड़ी सपा को यह दोनों सीटें देना चाहता है। एमवीए ने इन दोनों सीटों पर सपा के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारे हैं, जबकि शेष 7 सीटों पर सपा के खिलाफ एमवीएम प्रत्याशी भी मैदान में हैं।

सपा-कांग्रेस के लिए अकेले लड़ना मुश्किल राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय मानते हैं कि सपा और कांग्रेस के लिए यूपी में अकेले मुकाबला करना मुश्किल होगा। मौजूदा स्थिति में यूपी में प्रभावशाली छोटे दल अपना दल (एस), रालोद, सुभासपा और निषाद पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन है। इस गठबंधन में कोई बड़ी सेंध लगती हुई फिलहाल नजर नहीं आ रही है।

उनका मानना है कि लोकसभा चुनाव 2024 में दोनों के गठबंधन के कारण ही सपा देश की तीसरी बड़ी राजनीतिक पार्टी बनी। वहीं, कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली पर कब्जा बरकरार रखने के साथ कुल छह सीटें जीती। हरियाणा में सपा को एक भी सीट नहीं मिलने और यूपी उपचुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलने के बाद भी दोनों का गठबंधन बरकरार है।राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्‌ट मानते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम वोट कांग्रेस की ओर शिफ्ट हुआ है। सपा के लिए मुस्लिम वोट बैंक को बचाना बड़ी चुनौती है। यदि कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा तो वह सीटवार मुस्लिम के साथ अगड़े और पिछड़े वोट लेकर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कभी नहीं चाहेंगे कि उनके बिना कांग्रेस यूपी में थोड़ी भी मजबूत हो।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments